प्रमुख छतरियाँ :- राजस्थान के राजाओं की प्रमुख छतरियाँ Rajasthan ki pramukh chhatriya
>प्रमुख छतरियाँ :- राजस्थान के राजाओं की प्रमुख छतरियाँ Main Chhatri of the kings of Rajasthan
प्रमुख छतरियाँ :- राजस्थान के राजाओं की प्रमुख छतरियाँ Main Chhatri of the kings of Rajasthan
राजस्तहन में राजाओ की 8 खम्बो की छतरी है
1. महाराणा प्रताप की 8 खम्भों की छतरी बांडोली, उदयपुर (Udaipur) में है। इस छतरी का निर्माण अमरसिंह प्रथम ने करवाया था।
2. महाराणा सांगा की 8 खम्भों की छतरी - मांडलगढ़, भीलवाड़ा में है जिसका निर्माण भरतपुर के अशोक परमार ने करवाया।
3. मिश्र जी की 8 खम्भों की छतरी सरिस्का, अलवर में है। यहां नैड़ा/टहला की भी छतरी है।
● यह उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज सिसोदिया की छतरी है। जो 12 खम्भों की छतरी है - कुम्भलगढ़ दुर्ग, में है।
● 16 खम्भों की छतरी नागौर दुर्ग- यह अमरसिंह राठौड़ की छतरी है।
● 20 खम्भों की छतरी :- जोधपुर में अखैराज, अहाड़ा हिंगोला की भी छतरी है। तथा ये सिंघवियो की कि छतरी है।
●32 खम्भों की छतरी - मांडलगढ़, भीलवाड़ा में यह जगन्नाथ कछवाह की छतरी है जिसे हिन्दू-मुस्लिम शैली में बनाया गया है।
● 32 खम्भों की छतरी रणथम्भौर, सवाईमाधोपुर इस छतरी का निर्माण हम्मीर देव चौहान ने अपने पिता जैत्ररसिंह के 32 वर्ष के शासनकाल की याद में करवाया। इस छतरी पर बैठकर हम्मीर देव न्याय
करते थे। जिस कारण से इसे न्याय की छतरी कहते हैं।
● 80 खम्भों की छतरी अलवर में स्थित है यह मूसीरानी की छतरी है जो महाराजा बख्तावर सिंह की पासवान थीं। जो उनकी मृत्यु पर सती हुई थीं जिसकी याद में विनयसिंह ने 80 खम्भों की छतरी बनवायी। ये दो मंजिला छतरी है जिस पर रामायण व महाभारत के भित्ति चित्र हैं।
● 84 खम्भों की छतरी - धाबाई देवी की छतरी है बूंदी में है।